सादर नमन उन सभी दिव्यात्माओं को जो कोरोना संक्रमण से काल कवलित हो गए । डॉक्टरों ने सरकारी गाइडलाइंस से भी बढ़चढ़ कर अपनी जान और परिवार की परवाह न करते हुए दिन रात मरीजों की जान बचाने के लिए बेहतरीन सेवाएं दी हैं । स्वास्थ्य विभाग के प्रशासन , नर्सिंग स्टॉफ , लैब टेक्नीशियन और वार्ड बॉयज , सिक्योरिटी के सजग और सामूहिक प्रयासों से सदी की सबसे बड़ी त्रासदी को किसी हद तक थामा जा सका ।
कोरोना को आज पूरे 2 साल होने जा रहे हैं । इस एक साल में कोरोना ने कितने विश्व की कितनी आबादी को संक्रमित किया, कितने देश प्रभावित हुए कितनी जिंदगीयां लील ली , इन आंकड़ों पर टीका टिप्पणी, बहस की बजाय आओ आपके आसपास, मिलने वाले किसी खुश हाल परिवार से परिचय करते हैं जहां अचानक कोराना नाम की दहश्त से हंसते खेलते परिवार में आलाप विलाप संताप देखने को मिला । उनके दुख सुख में शामिल होकर देखें ।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार ने लॉकडाउन करके देखा , अनलॉक करके देखा ।
लेकिन धरती का सयाना इंसान ही गाइड लाइंस की अनदेखी कर जाए तो क्या किया जा सकता है। उन परिवारों में जाकर देखो जिन्होंने किसी न किसी को इस आपदा में किसी अपने को खोया है ।
मुझे और मेरी पत्नी डॉ दीपा थदानी वरिष्ठ प्रोफेसर
बायोकेमिस्ट्री को पिछली दिवाली पर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद घर के अंदर अजनबियों की तरह अलग अलग एक दूसरे को संबल देते हुए रहना पड़ा । आप समझ सकते हैं । लगभग 15 दिन आप सबसे अलग थलग रह रहे हैं । मेरी गर्भवती बहू को मायके भेजना पड़ा । बस मेरा बेटा नीचे के कमरे में और हम दोनों प्रथम माले पर अलग अलग कमरे में । किसी को किसी से मिलने की सख़्त मनाई । दिवाली पर हम अपने परिवार के साथ नहीं थे । सब नीचे आए और हमने बालकनी में खड़े होकर सबका अभिवादन स्वीकार किया । गमगीन माहौल का अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं ।
इस दौरान मेरे हिमायती, रिश्तेदारों, मेरे मित्रों के कई अजीज , मिलने वाले भर्ती हुए , जांच इलाज को लेकर शिकायतें, उलाहनें मिले । बीमार होने के बावजूद सबका समाधान निकालने की यथासंभव
कोशिश भी की । सोशल मीडिया में मेरे लेख , कविताएं , गीतों के माध्यम से लोगों को मालूम पड़ा कि हम भी अपनी पत्नी के साथ कोरोना से जूझ रहे हैं ।
क्या आपको अभी भी लगता है आचार , विचार , व्यवहार , आहार , योगा , घर के अंदर -- बाहर नियमित साफ़ सफ़ाई , स्वच्छता , खान पान के लिए सरकारी नुमाइंदे अथवा सरकारी आदेश की जरूरत है । सरकार सिर्फ़ नियम कायदों की घोषणा करती है , जन जागरूकता हेतु प्रचार प्रसार करती है , कानून देखती है । निजी जिन्दगी आपकी ख़ुद की है । आपको खुद महफूज़ रहना है । घर वालों को हंसता चहकना, खेलना , कूदना देखना है । स्वस्थ सांसों के साथ जीना है तो खुद में आवश्यकतानुसार परिवर्तन लाने की आपको जरूरत है ।
आज कोरोना हमारी खुद की लापरवाही से बढा़ है । क्या किट्टी पार्टी अपनी जान जोखिम से जरूरी हो गई जो दिखावा करना है । क्या किसी चौपाटी या होटल के दम घोंटू माहौल में उत्सव समारोह जश्न मनाना भी इतना जरूरी हो गया है । होटल के अंदर एसी का आंनद सिर्फ 1 दिन का होता है ।
माना जन्मदिन , रोका , सगाई , शादी सब जरूरी भी है । लेकिन सावधानी बरतें । मृत्यु, उठावने में अख़बारों में इश्तहार है तो मुंह दिखाई भी जरूरी है, लेकिन सावधानी के साथ ।
आप कहोगे अपनों में मास्क का क्या काम। हाथ धोए या नहीं कौन देख रहा है , किसने देखा है । मास्क शो पीस हो गए । मुहं , कान ,पर आधे लटकते , जेब की शोभा बढ़ाते । हेलमेट की तरह पुलिस देखते ही मुंह पर मास्क लगाना है । वायरस को भगाना है । दिखावा करते 2 आपने खुद को और परिजनों को संक्रमित कर दिया कुछ एहसास भी है या नहीं। परिवार के परिवार जब कुछ दिनों में अस्पताल और डॉक्टर के यहां ऑक्सीजन, बेड
इलाज के लिए भागते फिरते हैं अंदाजा लगा कर देखो । अस्पताल में आपके लिए 2 सालों से निरंतर जगे हुए हैं । खामियों के लिए जिम्मेदार कौन ?
हमें खुद को दोष देना चाहिए, सरकार को या व्यवस्था को । जब भीड़ में जीतेगा हारेगा चल रहा है। चुनावी दंगल में कानून बनाने वाले ही कानून की सार्वजनिक धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग, घर परिवार के मंगल कार्यक्रमों में कौन देखता है । हम कोरोना के साथ आंख मिचौली नहीं अपने हंसते खेलते परिवार के साथ आंख मिचौली खेल रहे हैं ।
कोरोना के साथ आंख मिचौली मत खेलो मेरे यार
मास्क,सोशल डिस्टेनसिंग,स्वच्छता करो अख्तियार
अगर आपको परिजनों, मित्रों से है सच्चा प्यार
मुंह दिखाई,रस्मों ,रीति-रिवाजों से करो इनकार
सांसें हैं तो है जहां, आपसे खुशियां अपरम्पार
हंसी ठिठौली ने उजाड़ दी जिंदगीयां बेशुमार ।
स्वस्थ हो आहार,योगा, आचार विचार और व्यवहार
बचाव ही सबसे सर्वोत्तम, सुलभ, सस्ता उपचार ।
डॉ लाल थदानी
वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ ।
उप अधीक्षक,
जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल
अजमेर ।
8005529714
drlal2010@gmail.com
चल अकेला की धुन पर खुद के लिखे गीत
को स्वरबद्ध किया है डॉ लाल थदानी ने
आओ मिलकर गीत गाएं कोरोना वैश्विक बीमारी से सब को मुक्ति दिलाएं घर घर जन जागरूकता कार्यक्रम को अभियान बनाएं
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/drlal-thadani-lockdown-extended-3rd-may-dr-lal-thadani-seven-major-steps-to-follow-in-further-lockdown
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पूर्व अध्यक्ष #राजस्थानसिंधीअकादमी जयपुर
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आओ कोरोना के साथ हंसी ठिठौली आंख मिचौली खेलें / डॉ लाल थदानी , वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ , अजमेर।
19.11.2020